रस्सी पर पड़ी गाठें मन पर पड़ी गांठों के समान है. ऐसी कितनी गांठों का बोझ आप रोज उठाते हैं. जैसे हम रस्सी की गांठें खोल सकते हैं, वैसे ही हम मनुष्य की समस्याएं भी हल कर सकते हैं.from Latest News कल्चर News18 हिंदी https://ift.tt/2IIUzEV
रस्सी पर पड़ी गाठें मन पर पड़ी गांठों के समान है. ऐसी कितनी गांठों का बोझ आप रोज उठाते हैं. जैसे हम रस्सी की गांठें खोल सकते हैं, वैसे ही हम मनुष्य की समस्याएं भी हल कर सकते हैं.
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By Lauren Hirsch from NYT Business https://ift.tt/xE5wojD
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