बात 1992 के मुंबई दंगे की है. दंगाई टोह लेते घूम रहे थे. सभी एक-दूसरे की जान लेने को आतुर. गुस्साई भीड़ ने मुझे भी पकड़ लिया. तभी एक मुस्लिम परिवार सामने आया. 'ये हमारे घर का बेटा है.' उनकी आंखों में सच्चाई और यकीन था. भीड़ लौट गई. अगले कई दिन मैं उसी घर में छिपा रहा. from Latest News कल्चर News18 हिंदी https://ift.tt/2HTNe08
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